आयुध पूजा 2023: महत्वपूर्ण लाभ और उनका विवरण
नवरात्री पूजा के ही एक भाग के रूप में आयुध पूजा को मनाया जाता है | आयुध पूजा को देश भर में विभिन्न तरह के रीती रिवाजों के आधार पर मनाया जाता है | आयुध का अर्थ होता है अस्त्र शस्त्र , प्राचीन काल से ही लोगों को अपने अस्त्र शास्त्रों के लिए बड़ा ही सम्मान होता था इसलिए वह नवरात्रि या नवरात्री समाप्ति के अगले दिन दशहरे के अवसर पर आयुध पूजा को मनाते थे | यह विजय दिवस के रूप में एक प्रमुख त्यौहार है |
आयुध पूजा का एक अर्थ उपकरणों की पूजा भी होता है| हम सभी व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक रूप से कई तरह के उपकरणों का उपयोग करते है | इन उपकरणों के कारन ही बहुत से लोगों को रोजगार मिला हुआ है | इसलिए नवरात्री में आयुध पूजा के रूप में बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां हो या छोटे व्यवसाय वहां पर मशीनों और अन्य उपकरणों की पूजा की जाती है |
[contact-form-7 id="14022" title="Contact form 1"]आयुध पूजा कब है ?
यह आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है | 2023 में आयुध पूजा 23 अक्टूबर को मनाई जायगी | इस दिन को विजय दिवस के रूप में जाना जाता है |
आयुध पूजा सामग्री
आयुध पूजा को विधिवत रूप से करने के लिए आपको निम्न सामग्री की जरुरत होती है –
- साफ़ चद्दर जिस पर आप अपने आयुध और उपकरण रख सके |
- पूजन के लिए थाल
- रोली
- चावल
- मोली
- हल्दी
- गंगाजल
- पुष्प
- पुष्पमाला
आयुध पूजा विधि
आयुध पूजा कैसे करनी है और इस को पूजा करने की क्या विधि और पद्धति है आइये जानते है –
- आयुध पूजा करने के लिए सबसे पहले जिस स्थान पर पूजा करनी है उस स्थान को धोकर साफ़ कर लें |
- अब स्वयं स्नान करके स्वच्छ कपडे पहन लें |
- अब दो चौकी बिछाएं और उस पर गंगाजल छिड़ककर कपडा बिछाएं |
- एक चौकी पर माता सरस्वती और माता दुर्गा की तस्वीर रखें |
- अब अपने उपकरणों और शस्त्रों को साफ़ कर लें |
- पूजन के लिए सबसे पहले एक घी का दीपक प्रज्वलित करें |
- दूसरी चौकी पर अपने शस्त्र और उपकरण को रख दें |
- यदि उपकरण बड़े हो तो आप उन्हें नीचे चद्दर बिछाकर रख सकते है |
- अब सबसे पहले गंगाजल के छीटें माता की मूर्ति या फोटो पर दें |
- अब सबसे पहले आपको गणेश जी का ध्यान करके उनकी पूजा करें |
- इसके बाद रोली से पहले माता के तिलक लगाएं |
- माता को चावल अर्पित करें |
- माता को वस्त्र के रूप में मोली चढ़ाएं |
- अब कुछ मिठाई का भोग माता को लगाएं |
- और दक्षिणा के रूप में रूपए माता के सामने रखे |
- अब आयुध पूजा के लिए सबसे पहले आयुध पर गंगाजल के छींटें दें |
- इसके बाद रोली का तिलक अपने सभी शस्त्र और उपकरणों पर लगाएं |
- सभी आयुध पर मोली बांधे |
- अब मिठाई अर्पित करें एवं दक्षिणा रखें |
- अब दीपक को एक थाली में रखें एक दीपक में कपूर जलाएं |
- अब माता एवं अपने आयुध की आरती करें |
- अंत में सभी के हाथ में पुष्प दें और पुष्पांजलि के रूप में माता की मूर्ति या फोटो और सभी उपकरणों पर पुष्प अर्पित करें |
- अब साष्टांग प्रणाम करें और खड़े होकर सभी को प्रसाद दें |
- इस तरह आपकी आयुध पूजा पूर्ण होती है |
आयुध पूजा का महत्व
पुराने समय से ही हम किसी ना किसी रूप से उपकरणों से जुड़े हुए है | दिन की शुरुआत से लेकर सोने तक हम इनका उपयोग करते है | कंप्यूटर, लैपटॉप, बाइक, कार जैसे व्यक्तिगत उपयोग में आने वाले उपकरण भी हमारे लिए बहुत ही आवश्यक होते है | आयुध पूजा के द्वारा हम इनका धन्यवाद करते है और उस दिन इनकी साफ़ सफाई करते है जिससे यह वर्ष भर सही तरह से काम करें | हम माता और भगवान से प्रार्थना करते है की यह हमारे लिए सदैव उपयोगी बने रहे |
ऑफिस हो या फैक्टरी सभी जगह बहुत सी मशीनें रहती है जिनके द्वारा वर्कर प्रोडक्शन और अन्य सर्विसेज प्रदान कर पाते है | आयुध पूजा के द्वारा भगवान को धन्यवाद दिया जाता है की इन उपकरणों की मदद से वह निर्बाध रूप से कार्य कर पा रहे है | इस पूजा के लिए मशीनों की साफ़ सफाई और देखरेख की जाती है और सौभाग्य के लिए इनकी पूजा की जाती है |
आयुध पूजा से जुडी कहानी
आयुध पूजा के साथ 2 कहानियां जुडी हुई है | पहली कहानी के अनुसार बहुत समय पहले राक्षसों का एक राजा हुआ था जिसका नाम महिषासुर था | महिषासुर के कारन सभी परेशान थे | लोगों को सताना, निरपराध लोगों की हत्या कर देना उसका काम था | उसके कारण सभी देवताओं ने माँ भगवती के सामने प्रार्थना की | तब माता ने 10 भुजा धारण की, उनकी हर भुजा में एक हथियार था | उन्होंने 9 दिन तक लगातार महिषासुर के साथ युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर का संहार किया | इसी की ख़ुशी में सभी जगह नवरात्री का पर्व मनाया जाता है और 10 वे दिन यह पूजा की जाती है |
दूसरी कहानी महाभारत काल से जुडी हुई है | जब पांडव कौरवों के संग जुए में हार गए तो उन्हें 12 वर्ष के लिए वनवास और एक वर्ष के लिए अज्ञातवास के लिए जाना पड़ा | अज्ञातवास में उन्हें अपनी पहचान को छुपाकर रखना था | यदि किसी को ज्ञात हो जाता की वे पांडव है तो उन्हें दोबारा 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास में रहना पड़ता | पांडवों के पास बहुत ही उत्तम आयुध यानि की शस्त्र थे जिन्हे देखकर कोई भी उन्हें पहचान सकता था | इसलिए पांडवों ने अपनने शस्त्र शची के पेड़ पर छिपा दिए | अज्ञातवास के पूर्ण होने पर जब अर्जुन आदि पांडवों ने अपने शस्त्रों को उतारा और उन्हें साफ़ करके उनकी पूजा की | यह दिन आश्विन शुक्ल दशमी का था और इस दिन के रूप में आयुध को पूजन की परम्परा बन गयी | कर्नाटक और आस पास के कई राज्यों में इस दिन शस्त्रों की पूजा के साथ ही शमी के पेड़ की पूजा की जाती है |
आयुध पूजा क्यों करनी चाहिए ?
ऐसा कहा जाता है की हम किसी ना किसी रूप से अपने आसपास की चीजों से जुड़े हुए है | जिन भी उपकरणों या शस्त्रों का उपयोग हम करते है उनके लिए हम भगवान के प्रति श्रृद्धा प्रकट करते है | इन अनुष्ठान के द्वारा हम भौतिक, अभौतिक चीजों के साथ बेहतर स्थापित कर पाते है |
आयुध पूजा के लिए बुकिंग कैसे करें ?
आयुध पूजा की व्यवस्था कैसे होगी , पूजा कौन करवाएगा यदि यह विचार आपके मन में चल रहे है तो हम आपके लिए लेकर आये है एक ही स्थान पर सभी समाधान | स्मार्टपूजा में हम आपकी पूजा से सबंधित सभी व्यवस्था करते है | जिसमें – इस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, पूजन के लिए पंडित जी की व्यवस्था, पूजन सामग्री एवं फूलों के द्वारा डेकोरेशन की भी व्यवस्था की जाती है |
स्मार्टपूजा में हमारे पास पूजन सामग्री का प्रबंधक एवं अनुभवी पंडितों की टीम है जो की पुरे विधि विधान से आपकी पूजा को संपन्न करवाते है | जिससे आपको भगवान का आशीर्वाद मिलता है और आपको मानसिक शांति मिलने के साथ ही आपकी सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है |
आयुध पूजा से जुडी सेवाओं की अधिक जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।