सत्यनारायण पूजा विधि,सामग्री, शुभ मुहूर्त 2023 एवं कथा
कलियुग में सत्यनारायण कथा को सुनने का बड़ा महातम्य है, इसे सुनने मात्र से जीवन के सब कष्ट, रोग, व्याधि और दुःख दर्द दूर हो जाते है | सत्यनारायण पूजा में भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है एवं उनकी कथा सुनाई जाती है |
सत्यनारायण पूजा कुछ घंटे की पूजा होती है और इस पूजा में भगवान नारायण यानि की विष्णु भगवान के सत्य स्वरूप की पूजा की जाती है | सत्यनारायण पूजा के बारे में स्कंदपुराण में बताया गया है | सत्यनारायण पूजा में कई छोटी छोटी कहानियों का संकलन है जिसके द्वारा यह बताया गया है की सत्य ही नारायण है | यानि की इस संसार में जो सत्य है वह स्वयं भगवान नारायण है और बाकि पूरी दुनिया मिथ्या है यानि की उसका कोई अस्तित्व नहीं है | इसलिए जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की पूजा करता है और उसके अनुसार ही अपने कर्म करता है | भगवान उस पर अत्यंत प्रसन्न होते है और अपनी कृपा दृष्टि से उसके सभी कष्ट और दुःख दर्द दूर कर उनकी समस्त मनोकामना पूर्ण करते है|
[contact-form-7 id="14022" title="Contact form 1"]सत्यनारायण पूजा का शुभ मुहूर्त 2023 में
स्कंदपुराण के रेवाखंड में सत्यनारायण पूजा कब करनी चाहिए इसके लिए गुरुवार और पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण बताया गया है | इसके अलावा शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भी सत्यनारायण पूजा के लिए शुभ बताया गया है | यदि सत्यनाराण पूजा इन शुभ दिनों पर की जाती है तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है और इससे कथा कराने वाले और व्रत करने वाले यजमान को 1000 हवन के बराबर पुण्य मिलता है |
श्री सत्यनारायण पूजा सामग्री लिस्ट
- भगवान सत्यनायराण या शालिग्राम जी की फोटो या मूर्ति
- भगवान को विराजमान करने के लिए एक लकड़ी की चौकी
- चौकी पर बिछाने के लिए एक सफ़ेद वस्त्र
- भगवान की पूजा के लिए थाल
- रोली, चावल, मौली
- दीपक, बत्ती और घी
- पंचगव्य
- पंचामृत ( दूध, दही, घी, बुरा, शहद )
- केले के पत्ते
- भगवान के भोग के लिए केले, तुलसी के पत्ते, मिठाई और पंजीरी का प्रसाद
- दूर्वा
- पान
- कुमकुम
श्री सत्यनारायण पूजा विधि
- श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा उत्तर या पूर्व की ओर मुँह करके करें |
- जिस जगह आप सत्यनारायण भगवान की पूजा कर रहे है उस स्थान को साफ़ करें और संभव हो सके तो गाय के गोबर से उस स्थान को लीप देवें |
- उस स्थान पर अब चौकी को रखें |
- चौकी के चारों पायों के पास 1-1 केले का पत्ता लगाएं |
- चौकी पर कपडा बिछाकर भगवान सत्यनारायण, शालिग्राम जी या ठाकुर जी की मूर्ति स्थापित करें |
- एक फोटो भगवान गणेश जी की भी रखें |
- एक घी का दीपक जलाएं |
- अब सबसे पहले भगवान गणेश जी का पूजन करें |
- भगवन गणेश को आह्वान करके उन्हें तिलक, रोली, मोली, चावल, दक्षिणा आदि अर्पित कर उनका पूजन करें |
- अब दशों दिक्पालों, नवग्रहों की पूजा करें |
- इनके पश्चात् भगवान सत्यनारायण की पूजा करें |
- सत्यनारायण भगवान को स्नान कराएं, उन्हें वस्त्र- उपवस्त्र पहनाएं |
- उन्हें पंचामृत अर्पित करें |
- अब सत्यनारायण कथा का पाठ करें |
- भगवान गणेश, श्री सत्यनारायण एवं अन्य देवताओं को भोग अर्पित करें |
- अब थाल में दीपक एवं एक अन्य दीपक में धुप डालकर कपूर जलाएं |
- अब सभी खड़े हो जाएं और भगवान की आरती गाएं |
प्राचीन काल की बात है एक दिन शौनक आदि ऋषि नैमिषारण्य में स्थित महर्षि सूत के आश्रम पहुचें | वहां पर पहुंचकर उन्होंने महर्षि सूत को प्रणाम किया और बोले की हे ऋषि इस जगत में सभी तरह के लौकिक सुख, दुखों से मुक्ति एवं सुख समृद्धि वैभव पाने का सबसे सरल उपाय क्या है | तब महर्षि सूत बोले की हे ऋषिगण जो प्रश्न आपने किया है यही प्रश्न एक बार नारद जी ने भगवान नारायण से किया था | तब भगवान नारायण ने बताया था की इस जगत के दुखों से मुक्ति पाने और सुख समृद्धि वैभव पाने के लिए सबसे सरल एवं उत्तम उपाय है सत्यनाराण व्रत का पालन करना एवं कथा सुनना | सत्यनारायण व्रत के लिए सत्य निष्ठां के साथ सत्य आचरण करना ही भगवान सत्यनारायण की सच्ची आराधना है |
सत्यनारायण कथा
सूत जी ने सभी ऋषियों से कहा की आज मैं आपको सत्यनारायण कथा कहूंगा जो की अति रोचक है और इसके सुनने से अत्यंत पुण्य फल प्राप्त होता है | एक बार काशी नगर में एक ब्राह्मण रहता था वह बहुत ही गरीब था | खाने और पानी की तलाश में वह हमेशा भटकता रहता था | उसकी इस स्थिति को देखकर एक दिन भगवान विष्णु एक ब्राह्मण का वेश रखकर उसके पास पहुंचे और उससे पूछा की तुम इस धरती पर क्यों भटकते रहते हो | वह निर्धन ब्राह्मण बोला हे भद्र पुरुष मै अत्यंत निर्धन हूँ और भिक्षा मांगने के लिए ही मैं यहाँ वहां भटकता रहता हूँ |
तब भगवान उससे बोले हे ब्राह्मण श्रेष्ठ आज में तुम्हे एक उपाय बता रहा हूँ उसको करने से तुम्हारी सब परेशानी दूर हो जाएगी | तब ब्राह्मण के वेश में भगवान बोले की तुम्हें उत्तम फल प्रदान करने वाले सत्यनारायण व्रत कथा को करना चाहिए | ऐसा कहकर भगवान वहाँ से अंतर्धान हो गए |
अगले ही दिन उस ब्राह्मण ने विधि विधान के अनुसार सत्यनारायण कथा और व्रत का पालन किया जिससे कुछ ही दिनों में उसके सारे दुःख दर्द दूर हो गए और वह अपने परिवारजनों और मित्रों के साथ आनंद पूर्वक जीवन बिताने लगा | अंत में अपने जीवन के वर्ष पूर्ण कर लेने के बाद वह ब्राह्मण सत्यलोक भगवान वैकुण्ठ के धाम पहुँचा |
इसके अलावा एक और कहानी है जो की श्री सत्यनारायण के व्रत में कही जाती है जिसे सूत जी ने ऋषियों को सुनाई थी | इस कहानी के अनुसार प्राचीन काल में उल्कामुख नाम के राजा थे जो की बहुत ही धर्म परायण व्यक्ति थे | एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ भद्रशीला नदी के तट पर सत्यनारायण व्रत पूजा कर रहे थे | तभी उधर एक साधु नाम का बनिया आया और राजा को इस तरह पूजा पाठ करते हुए देखकर वह राजा के पास गया और बोला हे राजन आप यह पुरे मनोयोग से किसकी पूजा कर रहे है | तब राजन बोले की संतान प्राप्ति की कामना से मैं भगवान विष्णु की पूजा कर रहा हूँ | राजन से उस व्रत की सारी पूजा विधि जान उसने निश्चय किया की वह भी संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत करेगा |
घर पहुंचकर उसने अपनी पत्नी लीलावती को सत्यनारायण व्रत की पूरी विधि एवं कथा सुनाई जिसके बाद उसने कहा की अगर उसे संतान प्राप्त हुई तो वह सत्यनारायण का व्रत करेगा | उसके व्रत संकल्प से भगवान सत्यनारायण की कृपा उस पर हुई | और 10 वें महीने में ही उसकी पत्नी लीलावती ने एक सुन्दर कन्या को जन्म दिया | उसका नाम उन्होंने कलावती रखा |
एक दिन साधु की पत्नी ने उससे कहा की अब हमारे घर कन्या भी हो गयी है अब तो हमें सत्यनारायण का व्रत करना चाहिए | तो साधु बोला की जब इसकी शादी हो जाएगी तब हम वह व्रत करेंगे | कन्या के युवती हो जाने पर एक सुन्दर वणिकपुत्र देखकर साधु बनिए ने अपनी बेटी कलावती का विवाह उसके साथ कर दिया |
लेकिन दुर्भाग्य से वह सत्यनारायण व्रत पूजा करना भूल गया | कुछ समय बीतने पर वह अपने दामाद के साथ ही पास के रत्नसारपुर नगर में व्यापार करने गया | कुछ ही समय में उसका व्यापार अच्छा चलने लगा | लेकिन सत्यनारायण भगवान का व्रत नहीं करने पर भगवान उससे रुष्ट हो गए थे | एक दिन जब वह ससुर और दामाद साथ में खड़े थे तभी एक चोर राजा चंद्रकेतु का धन चुराकर उधर की ओर आ रहा था |
उसके पीछे राजा के सैनिक थे | उन दोनों वणिकपुत्रो के पास आकर वह चोर डर से वह राजा का चुराया धन उन दोनों के पास छोड़कर भाग गया| पीछे से राजा के सैनिकों ने उनके पास धन देखा तो उन्हें पकड़ कर वहां से ले गए | उसके बाद राजा के आदेश से उन्हें कारागार में डाल दिया गया और उनका सारा धन भी ले लिया|
दूसरी और से बनिए के घर जहाँ पर उसकी पत्नी और बेटी रह रही थी उनका भी सारा धन चोरों ने चुरा लिया | उनके पास 2 वक्त का भोजन भी नहीं हो पाता था और दोनों माँ बेटी भूख प्यास से तड़पती हुई इधर उधर भटकने लगी | एक दिन साधु वणिक की बेटी कलावती एक ब्राह्मण के घर गयी जहाँ पर सत्यनारायण व्रत पूजा हो रही थी |
उसने वहां पर रहकर व्रत पूजा देखी और कथा सुनकर घर पहुंची और अपनी माँ को पूरा वृतांत सुनाया | उसने अपनी माँ से कहा की सत्यनारायण व्रत करने से सारे दुःख दूर होते है और सारी कामनाएं पूर्ण होती है | इस तरह दोनों माँ बेटी ने अपने बंधू बांधवों के साथ सत्यनारायण पूजा एवं व्रत किया | सत्यनारायण पूजा से भगवान सत्यनारायण प्रसन्न हुए और राजा चंद्रकेतु को स्वप्न में दर्शन दिया और बोले की दोनों वणिक निर्दोष है और उन्हें तुरंत छोड़ दें और उनका सारा धन दे दें अन्यथा तुम्हारे पुरे राज्य एवं पुत्र का नाश हो जायेगा |
राजा ने अपना स्वप्न पूरी सभा में सुनाया और दोनों वणिकपुत्रों को उनका धन देकर छोड़ दिया | इस तरह जो भी भगवान सत्यारायण का व्रत एवं पूजा करता है उस पर भगवान सत्यनारायण की कृपा होती है और उसकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होती है |
सत्यनारायण पूजा बुकिंग कैसे करें ?
आज के समय तेजी से दौड़ती जिंदगी में किसी भी काम के लिए समय निकालना बहुत ही मुश्किल हो गया है | खासकर बड़ों शहरों की स्थिति तो ओर भी खराब है | ऐसे में यदि आप इन बड़े शहरों में रहते है और अपने घर पर सत्यनारायण पूजा, व्रत एवं कथा करवाना चाहते है तो अब चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है | स्मार्टपूजा आपके लिए लेकर आया है वन स्टॉप सोल्यूशन | जिसका मतलब है की शुभ मुहूर्त से लेकर ,पूजन सामग्री की व्यवस्था और पूजा के लिए अनुभवी पंडित की व्यवस्था भी स्मार्टपूजा के हमारे धार्मिक प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन या कॉल करके कर सकते है |
सत्यनारायण पूजा से सबंधित जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।