महालया अमावस्या ( सर्वपितृ अमावस्या ) कब है, इसके महत्व,…
सभी संस्कृतियों में कुछ दिन या कोई खास दिन ऐसा होता है जब लोग अपने पूर्वजों को याद करते है और उनके लिए कई तरह की वस्तुएं अर्पित करते है और उनकी आत्मा की शांति के लिए कई तरह के पूजा, अनुष्ठान एवं प्रार्थना करते है | भारत में भी पूर्वजों को याद करने के वर्ष में पुरे 16 दिन होते है जिनमें पित्रों का श्राद्ध निकला जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है | इन दिनों में से 16 वां दिन और भी ख़ास होता है जिसे की महालया अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या कहते है | इस दिन को तर्पण किया जाता है और जो भी पूर्वज जिनकी मृत्यु तिथि याद नहीं है या वे पूर्वज जिनकी अकाल मृत्यु हुई है उनका श्राद्ध महालय अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या पर निकाला जाता है |
पितृपक्ष में 16 दिन के लिए हमारे पूर्वज पितृलोक से धरती लोक पर आते है इसलिए पूर्वजों की शांति के लिए पितृपक्ष के दिनों में तर्पण से पूर्वज बहुत ही खुश होते है | लेकिन यदि आप रोज तर्पण नहीं कर रहे है तो महालय अमावस्या जिसे की सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है इस दिन तर्पण अवश्य करना चाहिए | पितृ जितनी जल्दी प्रसन्न होते है उतनी ही जल्दी रुष्ट भी होते है इसलिए यदि इन दिनों में पितरों की शांति के लिए तर्पण और तृप्ति के लिए श्राद्ध नहीं किया जाता है तो अनिष्ट होता है | इसलिए पितरों की शांति के लिए तर्पण और तृप्ति के लिए श्राद्ध करना चाहिए | इससे पितृ प्रसन्न होते है और आशीर्वाद प्रदान करते है जिससे आपके परिवार जनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है |
महालया अमावस्या कब है ?
[contact-form-7 id="14022" title="Contact form 1"]सर्वपितृ अमावस्या जिसे की महालय अमावस्या कहा जाता है यह भारतीय कैलेण्डर के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मानी जाती है | वर्ष 2023 में महालया अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 को है |
महालया अमावस्या का दूसरा नाम क्या है
महालया अमावस्या को सर्वपित्र अमावस्या और देवपितृकार्य अमावस्या भी कहा जाता है |
महालया अमावस्या पर क्या करते है
इस दिन भूले बिसरे पितृ जिनकी मृत्यु की तिथि परिवारजनों को याद नहीं है या फिर वे पूर्वज जिनकी मृत्यु अकस्मात या अकाल मृत्यु हुई है, उनका तर्पण किया जाता है एवं उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है |
महालया अमावस्या पर तर्पण के लिए सामग्री
पितृ पक्ष में तर्पण करने के लिए कुशा का आसान, एक ताम्बे का थाल, कच्चा दूध, चावल, गंगाजल, कुशा, तिल को जल में डालकर जल पितरों को अर्पित किया जाता है | इनके अलावा सिंदूर, सुपारी, जनेऊ, कपूर, हल्दी, तुलसी के पत्ते, सफ़ेद फूल,घी, ,मुंग, गन्ना भी पितरों को अर्पित किये जाते है इससे प्रसन्न होते है |
महालया अमावस्या की विधि
महालय अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण कर्म और श्राद्ध कर्म किये जाते है जिनके द्वारा पितृ तृप्त होते है |
तर्पण कर्म
- सबसे पहले एक साफ स्थान पर आसन बिछाएं |
- अब तर्पण के लिए सामने एक ताम्बे की थाली रखें |
- अब आसन पर बैठकर निम्न मन्त्र बोलते हुए 3 बार आचमन करें –
ॐ केशवाय नमः
ॐ माधवाय नमः
ॐ गोविन्दाय नमः - अब हाथ धो कर गायत्री मन्त्र बोलते हुए अपनी शिखा को बांधें एवं कुशा से दो अंगूठी बनाकर अपनी अनामिका अंगुली में पहन लें |
- अब पूर्व की ओर मुँह करते हुए ताम्बे के पात्र में स्वच्छ जल लें उसमें गुलाब के फूल की पत्तियां, कच्चा दूध डालकर हाथ में चावल लें और देवताओं को और ऋषियों का आह्वान करें और तर्पण करें |
- अब अपना मुँह उत्तर दिशा की ओर कर लें और जल गिराते हुए दिव्य मनुष्य को तरपान दें |
- अब दक्षिण दिशा की ओर मुँह करते हुए इसके उपरांत अपना नाम और गौत्र का उच्चारण करें और फिर बोले –
अथ श्रुतिस्मृति पुराणोक्त फलप्राप्त्यर्थ |
देवर्षि मनुष्य पितृतर्पणम करिष्ये || - अब काले तिलों को हाथ में लेकर पितरों का आह्वान करें और नीचे दिए गए मन्त्र का जाप करते हुए अंगूठे और तर्जनी उंगुली से तिल छोड़ते हुए तर्पण करें |
ॐ आगच्छतु में पितर इमम ग्रहन्तु जलांजलिम | - अब अपने गौत्र का नाम लेकर अपने पिता का नाम लेते हुए निम्न मन्त्र बोलें –
गोत्र ( गौत्र का नाम लें ) अस्मत्पितामह ( पिता का नाम ) वसुरुप तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः | - अब इसी तरह अपने, दादा, परदादा, प्रपितामह यानि की पिता के दादा, नाना, परनामा, और नाना के दादा का नाम लेकर तर्पण दें | इसके अलावा दादी, बुआ, मौसी, नानी, मामा को भी तर्पण करें |
- यदि आपको अपने किसी पूर्वज का नाम याद नहीं है तो ब्रह्मा, विष्णु एवं रूद्र का उच्चारण कर भगवन सूर्य को जल चढ़ाएं |
- एक कंडे पर आंच करें और उस पर धुप दें और पांच भोग निकालें अबू तीन बार ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः ॐ विष्णवे नमः का जाप करते हुए पात्र में जल छोड़ें |
इस तर्पण कर्म से आपके पूर्वज प्रसन्न होते है और आपको आशीर्वाद प्रदान करते है |
श्राद्ध कर्म
- श्राद्ध कर्म के लिए अपने पूर्वजो की पसंद का सात्विक भोजन बनाएं और सबसे पहले भगवान को अर्पित करें |
- इसके बाद एक थाली अपने पितृ के लिए रखें और कंडे पर आंच करके 3 बार भोग लगाएं |
- अब एक पत्ते पर गाय के लिए, एक पत्ते पर कुत्ते के लिए, एक पत्ते पर कौओं के लिए, एक पर अतिथि के लिए और एक पत्ते पर पिपीलिका को दें |
- अब ब्राह्मण को बुलाकर अपने पितृ की थाली में उन्हें श्रृद्धापूर्वक भोजन करवाएं |
महालया अमावस्या का महत्व
सभी अमावस्या को पितृ कर्म के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन आश्विन कृष्ण पक्ष को पितृकर्म के लिए श्रेष्ठ माना जाता है कहा जाता है इन दिनों में तृप्ति के लिए पितृ पितृलोक से पृथ्वी लोक पर आते है और तर्पण और श्राद्ध कर्म से शांति और तृप्ति पाते है | यदि इन दिनों में किसी पवित्र नदी पर श्राद्धकर्म किये जाते है तो वह बहुत ही फलदायी होते है | लेकिन आप अपने घर पर भी तर्पण और श्राद्ध कर्म कर सकते है इससे भी आपके पितृ बहुत प्रसन्न होते है |
महालय अमावस्या के फायदे
- पितृकर्म करने से आपके पितृ प्रसन्न होते है और आपको ओर आपके परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते है |
- महालय अमावस्या पितरों की तृप्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि है इस दिन आपके द्वारा किया गया तर्पण और श्राद्ध सीधे आपके पितरों को प्राप्त होता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है |
- पितरों के खुश रहने से आपके घर में सुख और शांति रहती है |
- वर्षभर आपके घर में सकारात्मकता रहती है और आपके पितरों की मोक्ष के द्वार खुलते है |
महालया अमावस्या पूजा बुकिंग कैसे करें
सभी पूजा की तरह महालय अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म बहुत ही जरुरी है | इसके करने के लिए आप स्मार्टपूजा के प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है और अनुभवी पंडितों द्वारा तर्पण और श्राद्धकर्म करवाकर अपने पितरों को शांति और तृप्ति प्रदान कर सकते है | स्मार्टपूजा में अनुभवी टीम है जो की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री, शुभ समय और पंडित की व्यवस्था कर आपकी पूजा को आसान बनाते है | तो इसलिए अब निश्चिंत होकर हमारे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जाकर अपना ऑनलाइन पूजा पैकेज बुक करें और अपनी महालय अमावस्या के पितृकर्म और श्रद्धकर्म के लिए निश्चिंत हो जाएं |
महालया अमावस्या पर तर्पण और श्राद्ध कर्म से सबंधित जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।