2023 में कार्तिक पूर्णिमा कब है, पूजा विधि, सामग्री…
हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बड़ा ही धार्मिक महत्व है और इस दिन वैदिक रीती रिवाजों के अनुसार पूजन करने से बहुत ही पुण्य मिलता है | कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है | हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है और इसके ठीक एक महीने बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सारे देवता धरती पर आते है और अपनी दिवाली मनाते है इसलिए इस दिन को देव दीपावली भी कहा जाता है |
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने महा भयंकर राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन दान देने से आपके और आपके परिवार के लिए बहुत ही शुभ फल मिलता है | साथ ही इस दिन जो व्यक्ति सुबह जल्दी गंगा जी में या अन्य नदी में स्नान करके पूजा करता है उसको उसकी पूजा का कई गुना प्रतिफल मिलता है |
कार्तिक पूर्णिंमा के महत्व के बारे में हमारे धर्मशास्त्रों में बहुत लिखा हुआ है इसलिए इस दिन स्नान, ध्यान, दान और पूजा कर आप भी अपने सिंचित पुण्य में इजाफा कर सकते है | अब यदि आप किसी मेट्रो सिटी में रहते है तो आप घर पर किसी भी तरह की पूजा करवाने के लिए ऑनलाइन ही पूजन सामग्री, पंडित और सजावट की व्यवस्था कर सकते है | जिसके बारे में पूरी जानकारी आपको कार्तिक पूर्णिमा के इस लेख के अंत में मिल जाएगी |
[contact-form-7 id="14022" title="Contact form 1"]2023 में कार्तिक की पूर्णिमा कब है ?
वर्ष 2023 में कार्तिक पूर्णिमा 26 नवंबर को रहेगी |
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है खासकर इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक होता है इसलिए इस दिन लोग पुरे दिन भर धार्मिक कर्मो, पूजा पाठ और दान धर्म में लगे रहते है |
इस दिन परिवार के सभी सदस्यों को जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए | यदि संभव हो तो इस दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए यदि गंगा नदी पास ना हो तो अन्य किसी नदी में स्नान करना चाहिए | यदि घर के आसपास कोई नदी नहीं है तो आप अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते है |
ऐसा कहा जाता है इस दिन गंगा या अन्य नदियों में स्नान करने से सभी पाप मिट जाते है | कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का भी बहुत ही महत्व होता है इसलिए इस दिन अपने घर, मंदिर, तालाब, नदियों के पास दीपदान करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है |
कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा की जाती है?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है | मान्यता है की इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था | इसलिए इस दिन आप भगवान सत्यनारायण की कथा और माँ लक्ष्मी की पूजा करें | इस दिन भगवान भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए इस दिन भगवान शिव और उनके पुत्र कार्तिकेय जी की पूजा बहुत ही शुभ फल प्रदान करने वाली होती है |
कार्तिक पूर्णिमा पूजन सामग्री
- लकड़ी की चौकी
- लाल कपडा चौकी पर बिछाने के लिए
- भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की फोटो या मूर्ति
- रोली
- चावल
- सिंदूर
- दीपक /घी/ बत्ती
- पंचामृत
- गंगाजल
- नैवेद्य
- धुप
- मिठाई
- फल
- फूलमाला एवं फूल
कार्तिक पूर्णिमा पूजन से पहले क्या करें?
- कार्तिक पूर्णिमा पूजा के लिए अपने घर की अच्छे से झाड़ पोंछ कर धो लें |
- परिवार के सभी सदस्य ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी नदी में स्नान कर लें, यदि नदी नहीं है तो गंगाजल मिले हुए पानी से स्नान करें |
- स्नान के पश्चात भारतीय परम्परागत साफ़ और श्वेत वस्त्र वस्त्र पहने |
- घर में पवित्रता का माहौल रखे और घर में किसी भी तरह के मादक पदार्थ का सेवन या मांसाहार का सेवन ना करें |
- घर को अशोक के पत्ते और फूल मालाओं से सजा दें |
- घर में सूंदर सूंदर रंगोलियां बनाएं |
कार्तिक पूर्णिमा तुलसी पूजा विधि
- पूजा के स्थान को साफ़ करके नीचे स्वस्तिक बना कर चौकी रखें |
- चौकी पर लाल कपडा बिछाकर उस पर भगवान नारायण की मूर्ति या फोटो रखें |
- इसके पास ही आप एक गणेश जी की फोटो भी रखें |
- एक घी का दीपक जलाएं और अग्नि की साक्षी में आगे की पूजा करें |
- अब सबसे पहले प्रथमपूज्य गणेश जी का आह्वान करें और उनकी पूजा करें |
- अब रोली मोली चावल पुष्प आदि से गणेश जी की पूजा करें |
- अब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आह्वान करें |
- सबसे पहले दोनों को पंचामृत से स्नान करवाएं |
- इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करवाएं |
- अब रोली से तिलक लगाएं और चावल लगाएं |
- अब वस्त्र और उपवस्त्र पहनाएं |
- पान के पत्तों में सुपारी रखकर भगवान को अर्पित करें |
- अब सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें |
- अब तुलसी रखकर नैवेद्य और भोग अर्पित करें |
- भगवान को दक्षिणा अर्पित करें |
- एक थाल में घी का दीपक और दूसरे दीपक में धुप डालकर उस पर कपूर रख कर आरती करें |
कार्तिक पूर्णिमा से जुडी पौराणिक कहानी
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है और इसके साथ भगवान शिव जिन्हें त्रिपुरारी कहा जाता है की एक कहानी जुडी हुई है | एक समय महाभयंकर राक्षस जब देवताओं को सताने लगा तो भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध किया |
तारकासुर के वध से उसके तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली बहुत क्रोधित हुए और वह ब्रह्मा जी की घोर तपस्या करने लगे | उनकी तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उनके सामने प्रकट हुए और बोले की मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूँ मांगो क्या वरदान मांगते हो |
तीनों राक्षसों ने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान माँगा | लेकिन ब्रह्मा जी ने अमरता का वरदान देने से मना कर दिया | तब तीनों राक्षसों ने सोच विचारकर ब्रह्मा जी से कहा की आप हमें वरदान दें की आप हमारे लिए 3 अति भव्य पुरियों का निर्माण करें और जब ये तीनों पूरियां अभिजीत नक्षत्र में एक पंक्ति में हो तब हमारा वध हो |
ब्रह्मा जी से वरदान पाकर उन्होंने स्वर्णपुरी, रजतपुरी और लौहपुरी के रूप में त्रिपुर बसाये | वह अपने बल के मद में अंधे होकर समस्त लोकों में आतंक मचाने लगे | तब सभी देवता भगवान शिव के पास गए | तब सभी देवताओं ने भगवान महादेव को अपना आधा बल प्रदान किया |
तब पृथ्वी का रथ बनाया गया सूर्य और चन्द्रमा पहिये बने | मेरुपर्वत धनुष और वासुकि धनुष की प्रत्यंचा बने| विष्णु भगवान बाण बने | और जैसे ही अभिजीत नक्षत्र में तीनों पुरिया एक सीधी रेखा में आयी तब भगवान शिव ने बाण चलाकर तीनों राक्षसों को उनकी पुरियों के साथ नष्ट कर दिया | इस वजह से ही भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाता है |
कार्तिक पूर्णिमा पूजन के लिए बुकिंग कैसे करें
कार्तिक पूर्णिमा के पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए आप यह पूजा करवा सकते है | यदि आप सोच रहे है की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, पंडित जी और पूजन समग्री की व्यवस्था कैसे होगी तो अब आप निष्फिक्र हो जाएं | स्मार्टपूजा आपके लिए लेकर आया है एक ही जगह पर पूजा के प्रबंधन की सभी सुविधाएं | इसलिए बस एक फोन कीजिये या ऑनलाइन पूजा पैकेज बुक किये और दिव्यता और आध्यात्मिकता का अहसास पाइये |
कार्तिक पूर्णिमा पूजा से सबंधित अधिक जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें