छठ पूजा कब है, क्यों मनाई जाती है, पूजन…
छठ पूजा 4 दिनों का त्यौहार है जो की दीपावली के 4 दिन बाद शुरू होकर 7 वे दिन तक रहता है | यह त्यौहार भारत के बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड जैसे राज्यों में प्रमुख रूप से मनाया जाता है | छठ पूजा पर उगते सूर्य एवं अस्त होते सूर्य की उपासना की जाती है और अच्छे भविष्य की कामना की जाती है | इस दिन महिलाऐं सूती धोती पहनकर पार्वती माता के रूप व सूर्य की बहन छठी माता को पूजते है और अच्छे भविष्य और सुख समृद्धि की कामना करते है | यह भारत के सबसे प्राचीन और वैदिक आर्य सभ्यता के अनुसार इस त्यौहार को मनाया जाता है |
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होने वाले इस त्यौहार के अनुष्ठान बहुत ही कठिन माने जाते है | इस त्यौहार के लिए स्नान व्रत आदि सभी रीतियां महिलाऐं पुरुष सभी करते है | लेकिन खास तौर पर महिलाऐं इस दिन के लिए खास तैयारी करती है |
2022 में छठ पूजा कब है
[contact-form-7 id="14022" title="Contact form 1"]भारतीय पंचाग के अनुसार वर्ष में 2 बार छठ पूजा मनाई जाती है | एक छठ पूजा चैत्र शुक्ल षष्ठी को और दूसरी छठ पूजा कार्तिक महीने में मनाई जाती है | इस वर्ष 2022 में कार्तिक महीने में मनाइए 4 दिनों का छठ पूजा पर्व दीपावली के 3 दिन बाद यानि की कार्तिक शुक्ल चतुर्थी 28 अक्टूबर 2022 से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी 31 अक्टूबर 2022 तक रहता है | कार्तिक शुक्ल षष्ठी जिस दिन छठ पूजा होती है वह 27 अक्टूबर 2022 को रहेगी |
छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ?
छठ पूजा को लेकर कई तरह की कथाएं जुडी हुई है जिनमें से एक कथा के अनुसार जब भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या आये | तब राजतिलक से एक दिन पहले कार्तिक शुक्ल षष्ठी को शाम को सरयू के किनारे सूर्य को अर्घ्य देकर अगले दिन सुबह सूर्योदय को अर्घ्य देने के बाद उन्होंने अयोध्या का राज्य संभाला था | इसके बाद से ही छठ पूजा को मनाने की परम्परा चली आ रही है |
इसके अलावा एक और कथा इस पर्व के साथ जुडी हुई है जिसके अनुसार एक बहुत ही प्रतापी राजा थे जिनका नाम प्रियव्रत था | उनके कोई संतान नहीं थी ऐसे में ऋषि कश्यप के द्वारा उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया | यज्ञ के प्रतिफल से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन वह पुत्र मृत था इससे उन्हें बहुत दुःख हुआ | तभी उनके सामने एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थी | राजा ने माता की पूजा और स्तुति की | तब माता ने उनके हाथ से पुत्र लिया और उसे जीवित कर दिया | उन्होंने कहा की मैं दुनिया के सभी बच्चों का कल्याण करने वाली और निसंतानों को संतान प्रदान करने वाली हूँ | जो भी मेरी भक्ति करता है उसका मैं कल्याण करती हूँ |
छठ पूजा त्यौहार कितने दिनों का होता है ?
यह त्यौहार 4 दिन का होता है , इसका पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के रूप में, दूसरा दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी खरना और लोहंडा के रूप में, कार्तिक शुक्ल षष्ठी का दिन संध्या अर्घ्य और अंतिम में चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है, प्रत्येक दिन इसकी अलग अलग रीती रिवाज मनाये जाते है |
छठ पूजा सामग्री
पूजा के लिए थाली, कलश ,दीपक, घी, बत्ती, पानी वाला नारियल, पीला सिंदूर ,गन्ने, सुपारी, शहद, दूध, गुड़, देशी चने, धूपबत्ती, कुमकुम, कपूर, | इन पूजन के सामान के अलावा आपको नाशपाती, निम्बू मूली, शकरकंदी, अदरक, कपूर आदि |
छठ पूजा विधि
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी – नहाय खाय
छठ पूजा के 4 दिनों के पर्व के पहले दिन यानि की कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय मनाया जाता है जिसमें पवित्र गंगा नदी में स्नान किया जाता है और गंगा के पानी को घर लाकर इस पानी से चावल, चने दाल सब्जी आदि बनाई जाती है |
कार्तिक कृष्ण पंचमी – खरना और लोहंडा
खरना और लोहंडा का पर्व कार्तिक महीने की पंचमी को मनाया जाता है इस दिन जिसने व्रत किया है वह पुरे दिन निर्जल रहने के बाद सूर्यास्त के बाद व्रत खोलते है | भोजन में भी वह नमक और चीनी का उपयोग नहीं करते है |
कार्तिक कृष्ण षष्ठी – सूर्यास्त अर्घ्य
छठ पूजा का यह मुख्य पर्व दिन होता है इस दिन सूर्य को संध्या के अर्घ्य दिया जाता है | इस दिन घर के पुरुष सदस्य एक लकड़ी की टोकरी में फल और पूजा का सामान रखकर उसकी पतिव्रता बनी रहे इसके लिए उसे सर पर रखकर ले जाते है | साथ में घर की महिलाएं गीत गाते हुए साथ जाती है | नदी के पास जाकर वह नदी की मिटटी निकालती है और उससे छठ माता का चौरा बनाती है | इसके बाद सभी घुटनों तक नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते है और माता से सौभाग्य की कामना करते हुए 5 परिक्रमा देते है |
कार्तिक कृष्ण सप्तमी
यह दिन छठ पूजा का आखिरी दिन होता है इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य देते है | जिस भी घर के सदस्य ने व्रत किया है वह पानी में घुटनों से अधिक जाकर सूर्य की उपासना करते है और भोग अर्पित करते है |
छठ पूजा का महत्व
कार्तिक मास में आने वाले छठ पूजा का अंत्यंत शुभदायक माना गया है | इस दिन छठी माता की पूजा करने के साथ ही सूर्य की उपासना की जाती है | इस दिन पूजा करने से आरोग्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है | पारम्परिक रूप से मनाया जाने वाला यह त्यौहार ग्रामीण जीवन के कई समृद्ध रंग दिखाता है |
स्मार्टपूजा के साथ छठ पूजा की बुकिंग करें आसानी से
अब स्मार्टपूजा लेकर आया है पूजा की सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होने का अवसर | अब आप केवल एक फोन करके या स्मार्टपूजा के ऑनलाइन बुकिंग पर जाकर छठ पूजा के लिए बुकिंग कर सकते है | स्मार्टपूजा के पूजा पैकेज में आप दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, बैंगलोर, अहमदाबाद, पूना आदि मैट्रो शहर में अपनी भाषा के आधार पर पूजा के लिए पंडित और पूजन सामग्री प्राप्त कर सकते है | और घर से दूर रहकर भी बिलकुल स्थानीय रीती रिवाजों और परम्परा के अनुसार पूजा कर सकते है |