अंत्येष्टि संस्कार कर्म महत्व, विधि, सामग्री की संपूर्ण जानकारी…
हिन्दू धर्म में अंत्येष्टि संस्कार विधि के द्वारा व्यक्ति के अंतिम संस्कार करने को बहुत ही जरुरी बताया गया है | हिन्दू धर्म एक प्राचीन धर्म है और इसमें व्यक्ति के जन्म लेने के पूर्व से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों को बताया गया है जिनमें से अंत्येष्टि अंतिम संस्कार है | अंत्येष्टि संस्कार में जब शव घर में हो तब संस्कार की क्या विधियाँ होती है एवं शमशान गृह में संस्कार की कौनसी विधियां की जाती है इनके बारे में आम जन को बहुत कम जानकारियां होती है | आज के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगें की अंत्येष्टि संस्कार विधि क्या है ?
जब व्यक्ति के शरीर से आत्मा निकल जाती है तब निर्जीव शरीर का शास्त्रों के अनुसार बताये गए विधि विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है | अंत्येष्टि दो शब्दों से मिलकर बना है अन्त्य और इष्टि | अन्त्य से तात्पर्य है अंतिम और इष्टि यानि यज्ञ | इस प्रकार यह मनुष्य सम्बन्ध यज्ञ होने के कारण इसे “नरयाग” भी कहा जाता है | जीव का शरीर पांच तत्वों अग्नि, पृथ्वी, जल, धरती, आकाश से बना है अंत्येष्टि कर्म में दाहकर्म के द्वारा इन सभी पांचो तत्वों को मुक्त कर पुनः इस प्रकृति में पवित्रतापूर्वक मिलाने के कारन इसे नरमेध कहा जाता है |
[contact-form-7 id="14022" title="Contact form 1"]अंत्येष्टि कब करनी चाहिए
मृत्यु होने पर जब शरीर से आत्मा निकल जाती है तब जितना जल्दी से जल्दी हो सके यानि की 1 प्रहार ( 3 घंटे ) में दाह संस्कार कर देना चाहिए | दाह संस्कार में देरी करने से शरीर विकृत होने लगता है | लेकिन यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु रात्रि में हुई हो तो उसे सूर्योदय के बाद ही अंतिम संस्कार करना चाहिए | अंतिम संस्कार में किसी वजह से देर हो रही है तो शव को सुरक्षित रखने के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए |
अंत्येष्टि के लिए सामग्री
अंत्येष्टि की क्रिया को 2 भागों में बाटा जा सकता है
1. घर पर की जाने वाली क्रियाएं
2. शमशान गृह में की जाने वाली क्रियाएं
इन दोनों क्रियाओं में लगने वाली सामग्री को घर पर ही जुटा लेनी चाहिए | आइये जानते है अंत्येष्टि के लिए कौन कौन सी सामग्रियों की जरुरत होती है –
अर्थी के लिए सामान
- 2 मोटे बांस ( 8 फुट के )
- 8 बांस के टुकड़े ( 3 फुट के )
- फूस
- सुतली – 500 ग्राम
- शववस्त्र ( कफ़न ) – 6 मीटर
- फूलमालाएं – 16
- चन्दन
दाह कर्म के लिए सामान
सामग्री | मात्रा |
---|---|
लकड़ियां | साढ़े 3 क्विंटल |
पलाश की लकड़ियां | 10 किलो |
चन्दन की लकड़ियां | 5 किलो |
देशी घी | 20 किलो |
हवन सामग्री | 10 किलो |
तगर | 1 किलो |
चंदनचुरा | 1 किलो |
केसर | 20 ग्राम |
कस्तूरी | 20 रत्ती |
कपूर | 300 ग्राम |
खोपरे गोले | 4 किलो |
गाय का गोबर | 1 तसला |
घी | 4 किलो |
बांस 12 फुट के | 4 |
बाल्टी | 1 |
चुल्हे के लिए ईंटे | 6 |
यदि व्यक्ति संपन्न हो तो घी आदि पदार्थ अधिक मात्रा में भी ले सकते है |
वेदी कैसे बनाए
शास्त्र में बताया गया है की शव दाह के लिए जो वेदी बनाये उस पर पहले पवित्र पानी का छिड़काव करें | उसे गाय के गोबर से लीपना चाहिए | वेदी ऊपर से साढ़े 4 हाथ लम्बी, साढ़े 3 हाथ चौड़ी, नीचे हाथ लम्बी, 1 बालिश्त चौड़ी तथा गहराई में ढाई हाथ गहरी वेदी का परिणाम है |
अंत्येष्टि कर्म की विधि
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाये तो उस व्यक्ति के परिजनों को अंत्येष्टि संस्कार सबंधी काम करने होते है उन्हें 4 भागों में समझ सकते है |
- सगे सबंधीयो को मृत्यु की सूचना देना |
- जरुरी चीजों को इकठ्ठा करना |
- मृतक व्यक्ति को स्नान करवाकर शवयात्रा की व्यवस्था करना |
- शमशान स्थल में वेदी की व्यवस्था करना |
सुविधा के लिए इन सभी कार्यों को जिम्मेदार व्यक्तियों में बाँट देना चाहिए |
सबसे पहले जब अर्थी का सामान घर पहुंच जाए तो मृतक के शरीर को स्नान कराकर उस पर चन्दन आदि सुगन्धित पदार्थो का लेप करके उस नए शववस्त्र यानि की कफ़न धारण करवाएं और उस पर लपेट देवें | अब अर्थी को अंदर ले जाकर उसे अच्छी तरह से व्यवस्थित करने के बाद उस पर मृतक के शव को स्थापित करके ऊपर पुष्पमालाएं दाल देवें |
जब घर के परिवारजन और इष्टमित्र इकट्ठे हो जाएं तब शवयात्रा को आरम्भ करना चाहिए | शवयात्रा घर से निकल जाने के बाद घर को धो पोंछकर शुद्ध कर लेना चाहिए | घर में महिलाओं, रोगी, बच्चों एवं वृद्धों को स्नान करकर वस्त्र बदलने चाहिए |
दूसरी ओर जब शवयात्रा शमशान स्थल पहुंच जाए तब अर्थी को शुद्ध स्थान पर रख देवें | कुछ व्यक्ति गाय के गोबर से लिपि वेदी पर लकड़ियों को जमाएं | लकड़ियां जमाते समय फुस भी लगाते जाएं | फुस के बिच में कपूर भी लगाएं | कुछ व्यक्ति एक चूल्हा जलाकर उसमें गहि कर्म कर लें उसके अंदर चन्दनचुरा , अगर तगर का चूर्ण, केसर कस्तूरी और घी मिलाएं और उस घी को एक बर्तन में ले लेवें |
जब वेदी में आधी लकड़ियां लगा दी जाएं तो मृतक के शव को उस वेदी पर लिटा दें | मृतक का सिर उत्तर दिशा में और पैर दक्षिण दिशा में रखें | यदि वेदी को दिशा कोण के हिसाब से न बनाया गया हो तो मृतक ईशान कोण में और पांवो को नैऋत्य कोण में रखना चाहिए | इसके बाद वेदी में बाकि बची लकड़ियां भी स्थापित करनी चाहिए | इसके पश्चात एक दीपक प्रज्वलित करके एक चम्मच में कपूर को उस दीपक से जलाकर वेदी के चारों ओर से अग्नि प्रविष्ट करवानी चाहिए | कुछ स्थानों पर घर से ही अग्नि ले जाने का नियम होता है ऐसे में उस अग्नि के द्वारा वेदी में अग्नि प्रविष्ट करवाना शास्त्रसम्मत माना गया है |
अंत्येष्टि कर्म हो जाने के पश्चात सभी लोग किसी निर्धारित स्थान पर स्नान कर ले और घर पर आ जावें | घर की शुद्धि के विशेष यज्ञ करने का विधान भी शास्त्रों में बताया गया है | इस यज्ञ में शांतिकरण और स्वस्तिवाचन के मंत्रो से इलाइची-जावित्री-जायफल जैसे सुगन्धित द्रव्यों से आहुतियां देनी चाहिए | इस यज्ञ को 3 दिन तक करना चाहिए |
शवदाह के तीसरे दिन शमशान स्थल से वेदी से अस्थि लेकर आएं | अस्थि लाने से पहले पूर्व वेदिष्ठ अग्नि पर पानी का छिड़काव करना चाहिए | जिससे यदि अग्नि रह गयी हो तो वह शांत हो जाये | अब अस्थिखंडो और भस्म को किसी पात्र में रखकर इसे व्यक्ति के परिवारजन किसी तीर्थस्थान जैसे हरिद्वार, गया, सोरुजी लेकर जाएँ | तीर्थस्थान पर इनका तर्पण करवाने के बाद घर आएं |
निष्कर्ष
अंत्येष्टि संस्कार कर्म एक बहुत ही जरुरी संस्कार है और इसके पूर्ण होने पर ही मृतक की आत्मा को मुक्ति मिलती है | इसलिए अंत्येष्टि कर्म का पुरे विधि विधान से होना जरुरी है | अंत्येष्टि कर्म के लिए प्रशिक्षित पंडित स्मार्टपूजा द्वारा बुक किये जा सकते है | स्मार्टपूजा एक ऑनलाइन विकल्प है जिसके द्वारा सभी तरह की पूजा के लिए आप पुजनसमग्री, शुभ मुहूर्त की जानकारी, पूजा के लिए अनुभवी पंडित आप एक कॉल पर बुक कर सकते है |