दीपावली पूजा 2023: प्रकाश के साथ नए आरंभ की…
दीपावली हिन्दू धर्म का प्रमुख त्यौहार है और हर वर्ष इसे देश भर में बहुत ही उमंग और खुशियों के साथ मनाया जाता है | दीपावली के त्यौहार का इंतज़ार छोटों से लेकर बड़ों तक को होता है | दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है | हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है और यह माना जाता है की वह जिस पर प्रसन्न हो जाती है उसे जीवन भर धन, वैभव, सुख , सम्पदा की प्राप्ति होती है और उसके दुःखों का निवारण होता है | लेकिन लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए पुरे विधि विधान से उनकी पूजा करके उनका ध्यान किया जाता है और उनसे यह प्रार्थना की जाती है की वे आकर उनके घर में रहें और सुख संपत्ति प्रदान करें |
आज के इस लेख में हम दीपावली पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री, दिवाली पूजा विधि के बारे में जानेंगे | यदि आप दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, बैंगलोर, पुणे, अहमदाबाद, हैदराबाद रहते है और आपके पास पूजन की व्यवस्थाओं के लिए समय की कमी है या आप पूजन पंडित द्वारा करवाना चाहते है | तो अब यकरने ह सभी सुविधा आपको एक ही जगह पर मिल जाएगी | स्मार्टपूजा के दीपावली पूजा पैकेज में दीपवाली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त निकालना, पंडित, पूजन सामग्री, की व्यवस्था की जाती है |
दीपावली पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
[contact-form-7 id="14022" title="Contact form 1"]दीपावली प्रति वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है | वर्ष 2023 में दीपावली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी | दीपावली पूजा के लिए शाम के समय को बहुत ही शुभ माना जाता है | पंचाग के अनुसार कुछ खास मुहूर्त होते है जिसमें पूजन करने का खास लाभ होता है | पंचाग के अनुसार हम आपको कुछ खास मुहूर्त बता रहे है जिनके अनुसार आप दीपावली का पूजन कर सकते है –
दिन के शुभ चौघड़िया
अमृत का चौघड़िया – शाम 5:40 मिनट से लेकर 7:36 मिनट
शुभ का चौघड़िया – 02 बजकर 46 मिनिट से सुबह 02 बजकर 47 मिनिट तक
चर का चौघड़िया – दोपहर 05 बाजकार 29 मिनिट से दोपहर 10 बजकर 26 मिनिट तक
रात्रि के शुभ चौघड़िए
लाभ का चौघड़िया – रात्रि 01 बजकर 44 मिनिट से अर्धरात्रि 03 बजकर 23 मिनिट तक
शुभ का चौघड़िया – सुबह 07 बजकर 02 मिनिट की सुबह 08 बजकर 41 मिनिट तक |
दिवाली पूजा किस दिशा में करनी चाहिए ?
दीपावली के पूजन के लिए ईशान कोण सबसे सही रहता है | आप उत्तर दिशा में दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए माता लक्ष्मी और गणेश जी की फोटो या मूर्ति को स्थापित कर सकते है | ऐसे में पूजन करते समय आपका मुँह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए | पूजा के लिए कलश को भी उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए |
दीपावली पूजा की तैयारी कैसे करें ?
दीपावली के नजदीक आने पर घर में चारों और उत्सव का माहौल होता है | घर का प्रत्येक सदस्य दीपावली की तैयारियों को लेकर व्यस्त होता है | दीपावली पूजा के इस खास मौके को ओर भी बेहतर बनाने के लिए आपको क्या तैयारी करनी चाहिए जान लेते है –
- दीपावली आने से पहले घर को अच्छे से साफ़ कर लेना चाहिए | घर की पुरानी बिना काम की चीजों को हटा देना चाहिए |
- दीपावली पर घर के दरवाजों पर फूल मालाओं से सुसज्जित करना चाहिए |
- पूजा के लिए आवश्यक पूजन सामग्री को पहले ही खरीदकर रख लेना चाहिए जिससे पूजा वाले दिन किसी तरह की परेशानी ना हो |
- दीपावली के दिन नए कपडे पहनकर ही पूजा करनी चाहिए | इसलिए परिवार के सभी सदस्यों को नए और साफ़ कपडे पहनकर पूजा में बैठना चाहिए |
दीपावली पूजन सामग्री
एक चौकी | चौकी पर बिछाने के लिए एक लाल कपडा | माता लक्ष्मी एवं गणेश जी का पाना |
2 गन्ने | कलश | दीपक |
पंचामृत ( दूध, दही, घी,बुरा, शहद ) यदि इनमें से कोई वस्तु ना हो तो उसकी जगह गंगाजल ले सकते है | | अक्षत | रोली |
मोली | धनिया | बैठने के लिए आसन |
जनेऊ | कमल गट्टे की माला | पुष्पमाला और पुष्प |
दूर्वा | पान के पत्ते | अगरबत्ती, धुप |
सीताफल, ताजा फल | साबुत हल्दी | चांदी के सिक्के |
दिवाली पूजा विधि
दीपावली पर माता लक्ष्मी के पूजन के साथ ही प्रथमपूज्य गणेश जी एवं कुबेर जी की पूजा की जाती है | माता लक्ष्मी इस दुनिया में व्याप्त सभी चल अचल संपत्ति की अधिस्ठात्री देवी है | इनकी पूजा करने से समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है | दीपावली पर गणेश जी का पूजन करने से आपके सभी रुके हुए काम पुरे होते है आपकी बुद्धि स्थिर रहती है |
कार्तिक शुक्ल पक्ष अमावस्या के दिन शुभ चौघड़िया देखकर आपको सबसे पहले उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में स्थान को साफ़ करके उस पर आटे व हल्दी से स्वस्तिक बनाकर उस पर चौकी बिछानी चाहिए |
अब चौकी पर कपडा बिछाकर दाहिनी ओर माता महालक्ष्मी और बाएं ओर गणेश जी को बिठाना चाहिए | यदि लक्ष्मी जी की तस्वीर है तो उन्हें चौकी पर स्थापित करें |
अब एक पात्र में चन्दन से कमलदल बनाकर उसमें चांदी के सिक्के, रूपये आदि रखने चाहिए और इस पात्र को माता महालक्ष्मी के पास रखना चाहिए |
अब निम्न मंत्र पढ़ें और पवित्र जल को पूजन सामग्री पर छिड़कें –
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो पि वा |
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ||
अब दाएं हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का संकल्प लें | अब जल संकल्प को गणेश जी के पास छोड़ दें |
अब भगवान गणेश जी का सोडषोपचार पूजन, नवगृह पूजन और कलश पूजन करें |
अब निम्न मंत्र बोलते हुए माता लक्ष्मी का ध्यान करें –
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गम्भीरावर्तनाभिस्तनभरनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया |
या लक्ष्मीर्दिव्यरूपैर्मणिगणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भै :
सा नित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता ||
ॐ हिरण्य्वर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम |
चंद्रा हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ||
ॐ महालक्ष्म्यै नमः | ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि |
और मात्रा को पुष्प अर्पित करें |
अब माता को बैठने के लिए कमल का पुष्प अर्पित करें |
अब चंदन और फूलों से युक्त जल माता को अर्पित करें |
अष्टगन्धमिश्रित जल माता के हाथों में प्रदान करें |
अब शुद्ध जल से माँ को आचमन करवाएं |
अब लक्ष्मी माता को गाय के कच्चे दूध से स्नान करवाएं |
पुनः शुद्ध जल से स्नान करवाएं |
दही से स्नान करवाएं फिर शुद्ध जल से स्नान करवाएं |
घी से स्नान करवाएं फिर शुद्ध जल स्नान करवाएं |
शहद से स्नान करवाएं इसके पश्चात पुनः एक बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं |
शर्करा से स्नान करवाकर शुद्ध जल से स्नान करवाएं |
अब पंचामृत से स्नान करवाएं फिर शुद्ध जल से स्नान करवाएं |
अब लक्ष्मी माता को चन्दन से मिश्रित जल से स्नान करवाएं फिर गंगाजल से स्नान करवाएं |
अब एक साफ़ कपडे से माता को अच्छे से पौंछ लें |
अब माता को वस्त्र अर्पित करें | वस्त्र के रूप में आप मौली चढ़ा सकते है |
माता को आभूषण अर्पित करें |
अब माता को रक्तचंदन, सिंदूर कुमकुम युक्त अक्षत और इत्र अर्पित करें |
अब ॐ महालक्ष्म्यै नमः पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि | मन्त्र बोलते हुए मात्रा को पुष्पमाला अर्पित करें |
माता को दोब चढ़ाएं |
ॐ महालक्ष्म्यै नमः | दीपं दर्शयामि | मन्त्र बोलते हुए दीपक दिखाएं |
अब नवैद्य अर्पित करें |
अब ऋतुफल चढ़ाएं |
माता को लौंग, सुपारी अर्पित करें |
ॐ महालक्ष्म्यै नमः दक्षिणा समर्पयामि | कहते हुए दक्षिणा चढ़ाएं |
लक्ष्मी माता की आरती बोलें |
अंत में ॐ महालक्ष्म्यै नमः, प्रार्थनापूर्वक नमस्कारान समर्पयामि |
पूजन जब पूरा हो जाये तब यह मन्त्र बोले –
कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मी देवी प्रियताम, न मम |
कुबेर पूजन
दीपावली पर गणेश जी और माता लक्ष्मी के साथ ही कुबेर पूजन का भी महत्व है | कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष है और इनके पूजन करने से धन वैभव बढ़ता है |
सबसे पहले अपनी तिजोरी या जहाँ पर आप अपना धन रखते है उस स्थान पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं और कुबेर जी का ध्यान करें –
आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपाम कुरु |
कोशं वर्धय नित्यं त्वं परिरक्षं सुरेश्वर ||
इसके बाद ॐ कुबेराय नमः मन्त्र का जाप करें |
अब दोब हल्दी, धनिया, कमलगट्टा आदि को अपनी तिजोरी में रखें और यह प्रार्थना करें –
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च |
भगवन त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः ||
दीपमालिका पूजन
एक बड़े थाल में 11 या 21 दीपक प्रज्वलित करें और उसे माता लक्ष्मी के सामने रखें | अब दीपावल्यै नमः मन्त्र बोलते हुए प्रार्थना करें –
त्वं ज्योतिस्त्वं रविश्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारकाः |
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमोः नमः ||
महालक्ष्मीजी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु धाता || ॐ जय लक्ष्मी माता ||
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग की माता |
सूर्य- चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता || ॐ जय लक्ष्मी माता ||
दुर्गारूप निरंजनी, सुख सम्पति दाता |
जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि सीधी धन पाता | ॐ जय लक्ष्मी माता ||
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता |
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भावनिधिकी त्राता || ॐ जय लक्ष्मी माता ||
जिस घर तुम हो रहती, तहँ सब सद्गुण आता |
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता || ॐ जय लक्ष्मी माता ||
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता |
खान पान का वैभव सब तुमसे आता || ॐ जय लक्ष्मी माता ||
शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता |
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता || ॐ जय लक्ष्मी माता ||
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता |
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता || ॐ जय लक्ष्मी माता ||
लक्ष्मी जी की आरती के पश्चात सभी को अपने हाथ में पुष्प लेकर माता को अर्पित करने चाहिए |
दीपावली पूजा का महत्व
दीपावली का त्यौहार रोशनी और खुशियों का त्यौहार है | जिस तरह एक दीपक अंधरे को ख़त्म कर देता है उसी तरह दीपावली का त्यौहार हमारे जीवन की नीरसता, नकारात्मकता और दुखों को दूर कर खुशियाँ, उल्लास, उमंग और सकारात्मकता लेकर आता है |
दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
दीपावली के दिन को लेकर कई तरह की कहानियां इससे जुडी हुई है | भगवान राम रावण का वध करके कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या आये थे | भगवान के आने की ख़ुशी में अयोध्या के हर घर में दीपक जलाये गए थे | इसी दिन के बाद से परंपरा के रूप में इस दिन पर दीपक जलाये जाते है और दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है |
इसके अलावा कई ओर कहानी भी दीपावली से जुडी हुई है | एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के बाद इसी दिन माता लक्ष्मी समुद्र से बाहर आयी थी | इस उपलक्ष्य में दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है | इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि को पाताल का राजा बनाया था और उसका पहरेदार बनना स्वीकार किया था |
दीपावली पूजा बुकिंग कैसे करें ?
स्मार्टपूजा आपके लिए एक बेहतरीन पूजा पैकेज लेकर आया है | अब केवल एक फ़ोन करें और निश्चिंत होकर दीपावली पूजा की सभी व्यवस्था कर सकते है और विद्वान पंडित के द्वारा पुरे विधि विधान के साथ महालक्ष्मी पूजा करवा सकते है | हमारे पास अनुभवी और विद्वान पंडितो की टीम है जो की शास्त्रों के अनुसार बताई गयी विधि के अनुसार दीपावली पूजन करवाते है जिससे यह दीपावली पूजा आपके और आपके परिवार के लिए अत्यंत मंगलकारी होती है |
अधिक जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।